tag:blogger.com,1999:blog-46364055422467880772024-02-08T05:28:49.635-08:00ब्लाग हल-चलहिंदी चिठ्ठा-जगत के महासागर में बिखरे मोती समेटने की एक कोशिश.....योगेश गुलाटीhttp://www.blogger.com/profile/13535999793144019062noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-4636405542246788077.post-69898176515981148952010-06-05T19:00:00.000-07:002010-06-05T19:00:23.304-07:00ये लडकियां फोन पर क्या बतियाती हैं?(व्यंग्य): दिल्ली से योगेश गुलाटीफोन पर ज्यादा बातें करना तो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है जी! लेकिन फोन पर लंबी बातें करते हुए लोगों को देख कर मैं अकसर ये सोचता हूं कि ये लोग इतनी देर तक क्या बात करते होंगे? विशेषकर दिल्ली की लडकियां तो फोन पर घंटों बातें करती हुई देखी जाती हैं! उन्हें देखकर मेरे मन में अकसर चंद सवाल आते हैं, पहला तो ये कि उनका फोन किस कंपनी का है? क्योंकि घंटों बात करने पर जिसकी बेटरी खत्म ही ना होती हो ये तो कमालयोगेश गुलाटीhttp://www.blogger.com/profile/13535999793144019062noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4636405542246788077.post-4683810024301665762010-06-05T08:40:00.000-07:002010-06-05T08:40:57.706-07:00श्वान पर गोलीउस बालक ने श्वान पर ही प्रस्तर प्रहार किया था। जब बालक श्वान पर प्रहार करने वाला था तो उसने देख लिया और भाग गया। बालक का निशाना भी कोई अचूक नहीं था और वह हमारे साइकिल के बीचों बीच निकल कर पास से निकल रहे एक स्कूटर को जा लगा।
स्कूटर चालक के साथ एक महिला भी थी जो संभवत उसकी पत्नी रही होगी। स्कूटर वाला आगे जाकर रुका और चिल्लाया-‘ऐ किसने फैंका यह पत्थर?’
पांच से सात वर्ष का वह बालक सहमा हुआ उसे योगेश गुलाटीhttp://www.blogger.com/profile/13535999793144019062noreply@blogger.com0